Source: Amarujala
सार
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इसी साल अप्रैल में नेपाल में माउंट अन्नपूर्णा पर्वत शिखर पर चढ़ाई के दौरान अनुराग मालू एक गहरी दरार में गिर गए थे। हालांकि, तीन दिन तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद उन्हें बचा लिया गया था। इसके बाद दिल्ली एयरलिफ्ट किया गया।
भारतीय पर्वतारोही अनुराग मालू – फोटो : ANI
करीब छह हजार फीट की ऊंचाई से गिरे 34 साल के पर्वतारोही अनुराग को डॉक्टराें ने एक नई जिंदगी दी। अन्नपूर्णा पीक की चढ़ाई के दौरान अनुराग गिर गए। करीब 72 घंटे तक 80 मीटर बर्फ की मोटी परत में फंसे रहने के बाद वह जांच दल को मिले। दल ने उन्हें तुरंत नेपाल के एक अस्पताल में भर्ती करवाया। करीब 20 दिन इलाज करवाने के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स में रेफर कर दिया गया।
अनुराग जब दिल्ली एम्स में आए उस समय वह मल्टीपल ऑर्गन फेलियर से जूझ रहे थे। किडनी ने काम करना बंद कर दिया था, दिल, लंग्स, ब्रेन भी सही से काम नहीं कर रहे थे। करीब 174 दिन तक एम्स में इलाज चला। इस दौरान करीब 44 दिन आईसीयू में भर्ती रहे। अब अनुराग पैरों पर खड़े हैं। अनुराग मूलत: किशनगढ़, राजस्थान के निवासी हैं। डॉ. मनीष ने बताया कि अनुराग जब आए तो वह ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे और डायलिसिस चल रहा था। सर्जरी से पहले इन्हें स्टेबल करना जरूरी था।
मिली दूसरी जिंदगी
34 साल के अनुराग ने बताया कि गड्ढे में गिरने के बाद मैं होश में था। 80 मीटर गिरने के बाद भी मैं होश में था। दो ट्रेंच में गिरा लेकिन मुझे फ्रैक्चर नहीं हुआ था। गड्ढे में भी मैं अपने गोप्रो कैमरे से वीडियो बनाता रहा। लेकिन अंतिम 12 घंटे में बेहोश हो गया था। उसके बाद क्या हुआ कुछ भी याद नहीं। वह बताते है कि डॉक्टरों ने मुझे दूसरी जिंदगी दी है। अस्पताल के बेड नंबर 9 पर मैंने करीब 5.5 महीने बिताए। उन्होंने कहा कि साल 2020 से पर्वत पर चढ़ना शुरू किया था और उम्मीद है कि एक बार फिर से ठीक होने के बाद फिर से इसे शुरू करूंगा।
सात सर्जरी के बाद पैरों पर खड़े हैं अनुराग
इस बारे में जयप्रकाश ट्रामा सेंटर एम्स से बर्न एंड प्लास्टिक विभाग के प्रमुख डॉ मनीष सिंघल ने बताया कि मरीज को काफी गंभीर हालत में लाया गया। यहां तुरंत उन्हें क्रिटिकल केयर वार्ड में भर्ती किया। जहां सात सर्जरी के बाद अनुराग आज अपने पैरों पर चलने की स्थिति में हैं।
संक्रमण से बचाना मुश्किल काम था : डॉक्टर सोनी
आईसीयू फिजिशियन डॉक्टर कपिलदेव सोनी ने बताया कि अनुराग को संक्रमण से बचाना काफी मुश्किल काम था। उनके अंग सही से काम नहीं कर रहे थे। शुरुआती दौर में उन्हें स्थिर करने में लंबा समय लगा। धीरे-धीरे अंगों को प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी। 72 घंटे तक बर्फ में फंसे रहने के कारण दिल और दिमाग तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंची थी। इसका असर इलाज में दिखा। ठीक होने के बाद भी अभी कुछ समस्या हैं। वह काफी कुछ भूल गए हैं, लेकिन हम उम्मीद कर रहे हैं कि समय के साथ यह धीरे-धीरे सब कुछ फिर से याद आ जाएगा। डॉ कपिल ने बताया कि प्लास्टिक सर्जरी, क्रिटिकल केयर, एनेस्थिसियोलॉजी, कार्डियोलॉजी, नेफोलॉजी, ट्रॉमा सर्जरी, ईएनटी, मनोचिकित्सा और यूरोलॉजी सहित नौ विभागों के डॉक्टरों ने मिलकर अनुराग की जान बचायी। ठीक होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।